कबीर हिरदा भितरि दों बले, धूवां न प्रगट होई /
जाकै लागी सो लखै, कै जिनि लाई सोई //
नवंबर 28, 2011
कहैं कबीर
कबीर दोजग तौ हम अंगिया , यहु डर नाहीं मुझ /
भिस्ति न मेरे चाहिये, बाझ पियारे तुझ //
नवंबर 27, 2011
"टीबोली" भोजपुरी का बड़ा मारक शब्द है .अभिधा में भी हो तब भी इसकी मार का मुकाबला कोई नहीं कर सकता है .कमजोर से कमजोर आदमी भी 'टीबोली' का उपयोग कर लेता है .'टीबोली' का सबसे प्रभावी उपयोग कबीर ने किया .वो तो घर फूंक ,लिए लुकाठा 'टीबोली' बोलने वालो में थे .अपनी बिसात कहाँ .............. फिर भी 'टीबोली' की विशेषता का फायदा तो कमजोर भी उठा सकता है न /