teeboli
नवंबर 28, 2011
कहैं कबीर
कबीर दोजग तौ हम अंगिया , यहु डर नाहीं मुझ /
भिस्ति न मेरे चाहिये, बाझ पियारे तुझ //
1 टिप्पणी:
Ashok Kumar pandey
28 नवंबर 2011 को 8:40 am बजे
वाह, स्वागत...टिबोली ;)
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